◆ कार्ल मार्क्स: युग पुरुष
कार्ल हेनरिख मार्क्स (Karl Marx) एक जर्मन फिलोसोफर थे, जिन्हें अपनी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सोच के लिए जाना जाता है। उन्होंने विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और वह सोशलिज्म विचारधारा के संस्थापकों में से एक माने जाते हैं।
कार्ल मार्क्स 5 मई 1818 को प्रसिया के त्रियार्स (Trier) शहर में जन्मे थे। उनके पिता का नाम हरेंट लुद्विग मार्क्स था, जो एक वकील थे। उनकी माँ का नाम हेनरिएट्टा प्रेसबुर्ग था।
कार्ल मार्क्स एक यहूदी परिवार से थे। उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न समयों में धर्म को अस्वीकार किया और नए सामाजिक और आर्थिक विचारों का प्रचार किया।
कार्ल मार्क्स की शादी जेनी वेस्टफेल (Jenny von Westphalen) से हुई थी, जो उनसे एक स्कूल में मिली थी। उन्हें एक बेटी एलेना (Jenny) और तीन बेटे एडगर (Edgar), हेनरी (Henry), और लेवी (Levi) थे। कार्ल मार्क्स के पांच बच्चे थे, लेकिन उनमें से दो बच्चों की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। उनकी बेटी ईलेन (Helene) ने भी कम उम्र में ही मलेरिया से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई थी। उनके बेटे एडगार (Edgar) की मृत्यु भी बचपन में हो गई थी।
― कार्ल मार्क्स ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा त्रीवे के नगर विद्यालय में प्राप्त की थी। उन्होंने फिर बॉन शहर में स्कूल ज्वाइन किया, जहां उन्होंने एक उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वहां सामाजिक विज्ञान, इतिहास, भौतिक विज्ञान, फ़िलॉसफी, गणित, और अन्य भाषाओं का अध्ययन किया।
बाद में, मार्क्स ने बर्लिन विश्वविद्यालय में शुरुआती तौर पर शैक्षणिक पढ़ाई की। वहां उन्होंने फ़िलॉसफी, जैसे- इमानुएल कांट, गीटे और हेगल की विचारधाराओं का अध्ययन किया। यह विद्यार्थी जीवन उनके भविष्य के काम के लिए महत्वपूर्ण था, जहां उन्होंने सामाजिक न्याय, राजनीति और आर्थिक संरचना पर अपनी विचारधारा का विकास किया।
◆ कार्ल मार्क्स: पारिवारिक आर्थिक स्थिति
कार्ल मार्क्स की आर्थिक स्थिति उनके जीवन के विभिन्न अवधियों में बदलती रही। शुरुआत में, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी और उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।
मार्क्स को विद्यार्थी जीवन में भी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा था और अक्सर दोस्तों से उधार लेना पड़ता था। उनकी आजीविका के साधन बहुत संवेदनशील थे। वे जीवन में कई विभिन्न नौकरियां करते रहे थे और अपनी परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करते थे। कार्ल मार्क्स ने एकबार लंदन में रहते हुए एक न्यूजपेपर में लेख लिखा और अपनी आय कमाई थी। उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए फ्रांसीसी राजनीति की विविध मुद्दों पर टिप्पणी की थी।
कार्ल मार्क्स ने अपने जीवन के विभिन्न समयों में अपने दोस्त फ्रेड्रिक एंगल्स की सहायता से काम किया। उन्होंने इंग्लैंड में काम करते हुए फैक्ट्री वर्कर, जनरल लाइब्रेरियन, जूलर, क्लार्क, और ट्यूटर के रूप में भी काम किया।
कार्ल मार्क्स की आय संग्रहीत करने में उनकी पत्नी जेनी वेस्टफेल की भूमिका भी बहुत अहम थी। वे अपने पति के विचारों को समर्थन करने में उनकी मदद करती थीं। कार्ल मार्क्स की पत्नी जेनी वेस्टफेल कार्ल मार्क्स की सबसे बड़ी सहायक थीं, जो उनके विचारों को प्रोत्साहित करने और उनकी किताबें प्रकाशित करने में मदद करती थीं।
मार्क्स जीवन के अंतिम वर्षों में भी अपने परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने में कई बार सक्षम नहीं थे। उनकी मृत्यु के समय, उनकी परिवार की स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी और उनकी पत्नी जेनी और परिवार को उनकी मृत्यु के बाद भी कई सालों तक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
◆ मार्क्स और फेड्रिक एंजिल्स
फ्रेड्रिक एंगल्स एक जर्मन दार्शनिक, समाजवादी विचारक, लेखक और उद्यमी थे। उन्होंने जर्मन समाजवाद के सिद्धांतों को विकसित किया और कार्ल मार्क्स के विचारों के एक प्रमुख समर्थक के रूप में काम किया।
एंगल्स ने अपने लेखों और पुस्तकों के माध्यम से समाजवादी विचारों का प्रचार किया और वे कार्ल मार्क्स के साथ एक समझौता और संयुक्त योगदान से जाने जाते हैं। वे दोनों ने संयुक्त रूप से " कम्यूनिस्ट पार्टी मेनिफेस्टो " लिखा, जो दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण नारे वाली पुस्तकों में से एक है।
एंगल्स द्वारा लिखी अनेक पुस्तकों ने भी प्रसिद्धि हासिल की थी। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में " द फैक्टरी एंड इट्स उन्मूलन" और " इन्फांट्री नोट्स " शामिल हैं। कार्ल मार्क्स और फ्रेड्रिक एंगल्स दोनों एक ही समय में लंदन में रहते थे और दोनों के बीच एक गहरा संबंध था।
दोनों के परिचय को 1844 में हुए एक मंच पर वापसी से जोड़ा गया था। दोनों ने एक दूसरे से पहले जर्मन समाजवाद के विचारों के बारे में समझौता किया था। उन्होंने एक दूसरे से विचारों के बारे में गहराई से बातचीत की और संघर्ष के समय में एक दूसरे का समर्थन किया।
एंगल्स ने भी कार्ल मार्क्स को अपने काम के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मार्क्स को फाइनेंशियल सपोर्ट दिया और उनकी लेखनी में संबंधित मदद की। एंगल्स ने अपने द्वारा लिखी अनेक पुस्तकों में मार्क्स को सहायता की और वे दोनों संयुक्त रूप से काम करते रहे।
◆ कार्ल मार्क्स की कालजयी रचनाएं
कार्ल मार्क्स ने कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं जो सामाजिक न्याय, राजनीति और आर्थिक संरचना पर आधारित थीं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में से कुछ निम्नलिखित हैं:―
कम्यूनिस्ट पार्टी का मनिफेस्टो (The Communist Manifesto)― यह पुस्तक मार्क्स और फ्रेड्रिक एंगेल्स द्वारा लिखी गई थी और 1848 में प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक कम्यूनिज्म की सिद्धांतों की एक सार्थक व्याख्या है।
दास कैपिटल/ पूंजी (Das Kapital)― यह पुस्तक मार्क्स द्वारा लिखी गई थी और विश्व के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांतों में से एक है। इस पुस्तक में उन्होंने कपिटलिज्म और उसकी उत्पत्ति, विकास, और प्रभाव के बारे में विस्तृत व्याख्या की है।
समाजवाद, उत्पत्ति, विकास और अभिव्यक्ति (Socialism: Utopian and Scientific)― यह पुस्तक 1880 में प्रकाशित हुई थी। इसमें मार्क्स ने समाजवाद के इतिहास और समाजवादी विचारों की विस्तृत व्याख्या की है।
फिलोसोफी का एक नया रूप (The German Ideology)― यह पुस्तक मार्क्स और एंगेल्स द्वारा लिखी गई थी। इस पुस्तक ने फिलोसॉफी को नए आयाम प्रदान किए। इस पुस्तक ने यह स्पष्ट किया कि फिलोसॉफी का काम सिर्फ व्याख्या करना ही नहीं परिवर्तन करना भी हैं।
◆ मार्क्सवाद (Marxism)
मार्क्सवाद का जन्म कुछ ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर यूरोप में इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन या औद्योगिक क्रांति तेजी से फैल रही थी। इस रिवोल्यूशन के कारण उत्पन्न हुए असमानताओं, शोषण और ग़रीबी के ख़िलाफ़ समाज के कुछ वर्गों का विरोध बढ़ता जा रहा था। मार्क्स ने इस समाजी संकट के समाधान के लिए एक ऐसे विचारधारा का विकास किया था जो बाद में मार्क्सवाद के नाम से जाना गया। इस नई विचारधारा में समाज की समस्याओं का निष्कर्ष लेने के लिए भौतिकवाद, इतिहास और सामाजिक विज्ञान के सिद्धांतों को एक संगठित सिद्धांत के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
कार्ल मार्क्स के विचार बहुत विस्तृत हैं, लेकिन उनकी मुख्य विचारधारा के रूप में निम्नलिखित दो विचारों को समझा जाता है:―
समाजवाद (Socialism):― कार्ल मार्क्स का समाजवाद का सिद्धांत इस प्रकार है कि समूचे समाज को समानता और न्याय के साथ आर्थिक उन्नयन और स्वतंत्रता के लिए संगठित किया जाना चाहिए। समाजवाद आर्थिक समानता और वर्ग विहीन समाज की अवधारणा प्रस्तुत करता हैं।
कम्यूनिज्म (Communism):― कार्ल मार्क्स का कम्यूनिज्म का सिद्धांत इस प्रकार है कि एक समूचे समाज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक और सामाजिक संरचना को संगठित किया जाना चाहिए। वे उस समाज को सपनों की सफलता और समृद्धि के लिए संगठित करना चाहते थे, जिसमें समूचे समाज के लोगों को अपने आवश्यकताओं के अनुसार सामूहिक रूप से संसाधित किया जाता है। कम्युनिज्म राज्यविहीन, वर्गविहीन समाज की अवधारणा हैं।
कार्ल मार्क्स एक विचारक थे जो सामाजिक न्याय, राजनीति और आर्थिक संरचना पर अपनी विचारधारा विकसित कर चुके थे। उन्होंने कई विस्तृत सिद्धांत प्रस्तुत किए, लेकिन उनका सबसे प्रभावशाली सिद्धांत 'कम्यूनिज्म' था।
कम्यूनिज्म के अनुसार, समाज के सभी सदस्यों के बीच समान रूप से समाजी संसाधनों का बंटवारा होना चाहिए। इस विचारधारा के अनुसार, आर्थिक विषमता, अन्याय और असमानता की समस्याओं का मूल एक संपत्ति के अनुचित वितरण में है।
कम्यूनिज्म के साथ-साथ, मार्क्स ने उपनिषदों, बौद्ध दर्शन, और जैन दर्शन के सिद्धांतों से भी प्रभावित होकर एक नया दर्शन 'द्वैतवाद' विकसित किया। इस दर्शन के अनुसार, धर्म और धार्मिकता का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा होनी चाहिए।
कार्ल मार्क्स का विचारधारा समाजवाद के रूप में भी जाना जाता है, जो समाज के लोगों को समान रूप से समाजी संसाधनों का उपयोग करने की पेशकश करता हैं।
◆ कार्ल मार्क्स के विचार
1. अतिरिक्त मूल्य की अवधारणा:― मार्क्स के अनुसार, उत्पादों की मूल्य उनके उत्पादन में लगाए गए काम के आधार पर होना चाहिए। अर्थात, उत्पाद की मूल्य उसके बनाने में लगे मानव काम के आधार पर होना चाहिए। मार्क्स का यह सिद्धांत काम और मूल्य के सम्बन्ध को समझाने के लिए महत्वपूर्ण है।
उदाहरण के लिए, एक उत्पाद के बनाने में लगने वाले सामग्री, मशीनों के उपयोग से होने वाली उपयोगिता, और उसे बनाने के लिए मानव काम की मात्रा उत्पाद की मूल्य का आधार होनी चाहिए। इस सिद्धांत के अनुसार, यदि उत्पाद के बनाने में अधिक मानव काम लगता है, तो उसका मूल्य अधिक होगा। इसी तरह, यदि उत्पाद के बनाने में कम मानव काम लगता है, तो उसका मूल्य कम होगा।
2. वर्ग-संघर्ष की अवधारणा:― The history of all hitherto existing society is the history of class struggles" ("अब तक की सभी मौजूदा समाज का इतिहास वर्ग संघर्षों का इतिहास है")― यह उद्धरण मार्क्स के समाजशास्त्रीय उपन्यास "कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो" में पाया जाता है। इस उद्धरण से मार्क्स ने सार्वभौमिक रूप से समाज के इतिहास में वर्ग संघर्ष का महत्व बताया है।
कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष की अवधारणा को अपनी समाजशास्त्रीय सोच का एक महत्वपूर्ण तत्त्व माना। उन्होंने समाज को दो विभागों में बांटा― अर्थव्यवस्था और समाज। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था वर्गों के आधार पर संगठित होती है, जो अपने स्वामित्व और उत्पादन के तरीके के आधार पर एक दूसरे से भिन्न होते हैं। इन वर्गों में, श्रमिक वर्ग उत्पादक शक्ति को लेकर दलित होते हैं जो धन और संपत्ति के अभाव में उनके शोषण के शिकार होते हैं।
मार्क्स ने कहा कि वर्ग समूहों के बीच संघर्ष होता है जो वहाँ न्याय और समानता की दशा की स्थापना करने के लिए लड़ते हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिक वर्ग को उनके अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहिए, ताकि वे अपने उत्पादन के श्रम के मूल्य को प्राप्त कर सकें। कार्ल मार्क्स ने अपने इस संघर्ष की व्याख्या को दो भिन्न प्रकारों में वर्णित किया― आर्थिक संघर्ष और राजनीतिक संघर्ष।
3. धर्म-संबंधी विचार:― "Religion is the opium of the people" ("धर्म जनता का अफीम है") ― यह उद्धरण मार्क्स के निबंध "क्रिटिकल ऑफ फिलोसोफी ऑफ राइटिंग" में पाया जाता है। इस उद्धरण से मार्क्स ने धर्म को एक मानसिक दारू की तरह बताया है जो लोगों के दुखों को कम करता है और उन्हें अपनी स्थिति स्वीकार करने के लिए शांति और संतुष्टि प्रदान करता है।
4. समानता संबंधी विचार:― " प्रत्येक व्यक्ति के योग्यता के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यकता के अनुसार "― इस सिद्धांत के अनुसार, समाज को उत्पादक शक्तियों के नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए, जिससे सभी लोगों को समान रूप से विकास और उपयोग के लिए उपलब्ध संसाधन मिल सकें। मार्क्सवाद इसके लिए कार्यकर्ताओं को शिक्षा और स्वशिक्षा, एकीकृत व्यवस्था, स्वामित्व के अभाव, संघर्ष और उत्पादकता में अपने हाथों की मेहनत आदि को प्राथमिकता प्रदान करता हैं।
कार्ल मार्क्स के विचारों में क्रांतिकारी महत्वपूर्णता है। उनके मतानुसार, भूमि, जल, वायु, जंगल और उनमें पाए जाने वाले संसाधन सभी की सम्पत्ति है और इन्हें संबंधित समूह या व्यक्ति के निजी माल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
मार्क्सवाद के अनुयायी क्रांतिकारी समाज बनाने का आदर्श रखते हैं, जिसमें सभी लोग एक समान ढंग से जीवन जीते हों, और समृद्धि का उत्पादन भी सभी के लिए समान हो। मार्क्स के मतानुसार, समाज में वर्ग भेद अस्थायी होना चाहिए और सभी के लिए एक समान ढंग से उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा होनी चाहिए।
कार्ल मार्क्स की विचारधारा अन्य संगठनशील चुनौतियों के लिए भी उपयोगी है, जैसे विविध विधाओं की जनता के लिए पहुंच, लाभ और विकास को सुनिश्चित करने के लिए नीतियों के बनाए जाने की जरूरत होती है।
― कार्ल मार्क्स ने समाजवाद को वैज्ञानिक आधार देने का प्रयास किया था और उन्होंने वैज्ञानिक समाजवाद की अवधारणा का विकास किया। उनके अनुसार, समाजवाद एक सामाजिक सिद्धांत है जो समाज के लोगों की आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक उन्नति के लिए लड़ाई करता है।
वे समाजवाद को एक उत्पादक व्यवस्था के रूप में देखते थे जिसमें सभी संसाधन सामाजिक रूप से संचालित होते हैं और उत्पादन सामाजिक जरूरतों के अनुसार होता है। इस उत्पादक व्यवस्था में संसाधनों का निजी मालिकाना स्वामित्व खत्म होता है और उन्हें सामाजिक न्याय के आधार पर बांटा जाता है।
मार्क्स के अनुसार, समाजवाद का लक्ष्य एक समान और न्यायपूर्ण समाज है जहां सभी लोग स्वतंत्र रूप से अपनी भौतिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और समूचे समाज की उन्नति का हिस्सा बनते हैं।
― कार्ल मार्क्स ने कम्युनिज्म का सिद्धांत व्यक्तिगत मुल्यों की असमानता, शोषण और विभाजन को समाप्त करने के लिए विकसित किया था। उन्होंने समाज को वर्गों में विभाजित देखा और समाज के गरीब वर्गों को सक्षम बनाने के लिए अधिकारों का वितरण करने का समर्थन किया।
कम्युनिज्म के सिद्धांत में, संपत्ति और संसाधनों का सामंत्रिक उपयोग करके सभी लोगों को समान रूप से लाभ प्रदान किया जाना चाहिए। इस सिद्धांत के अनुसार, समाज के सभी सदस्यों को वस्तुओं और सेवाओं का एक समान वितरण होना चाहिए, ताकि कोई व्यक्ति दूसरे से अधिक संपत्ति और अधिकार नहीं रखे।
कम्युनिज्म के सिद्धांत में, व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि समाज के सभी सदस्यों को समान रूप से संपत्ति और सेवाओं का लाभ मिलना चाहिए और यह उन्हें अपने जीवन के लिए स्वतंत्र रूप से फैसले लेने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
◆ कार्ल मार्क्स के कुछ प्रसिद्ध कथन
The philosophers have only interpreted the world, in various ways; the point, however, is to change it.
Workers of the world, unite! You have nothing to lose but your chains.
The production of too many useful things results in too many useless people.
Capitalism is essentially a system of mass exploitation, under which the propertyless majority is forced to work for the benefit of the tiny, parasitic ruling class.
The history of all hitherto existing society is the history of class struggles.
The bourgeoisie, wherever it has got the upper hand, has put an end to all feudal, patriarchal, idyllic relations. It has pitilessly torn asunder the motley feudal ties that bound man to his ‘natural superiors,’ and has left remaining no other nexus between man and man than naked self-interest, than callous ‘cash payment.
◆ कार्ल मार्क्स के प्रसिद्ध उद्धरण
कार्ल मार्क्स ने अपने जीवनकाल में कई प्रसिद्ध उद्धरण कहे हैं। उनका लोगों में बहुत गहरा प्रभाव हुआ है। कुछ उनके प्रसिद्ध उद्धरण निम्नलिखित हैं:―
दरिद्रों के हक की लड़ाई वह लड़ाई है जो अंततः विजयी होती है।
विश्व के हर व्यक्ति का एक अधिकार होना चाहिए, वह है रोजगार का अधिकार।
धर्म जनविरोधी नहीं है, धर्म मूल रूप से जनता के लाभ के लिए था।
साम्यवाद केवल धन का वितरण नहीं करता, बल्कि यह उत्पादन की तकनीक के विकास को भी नियंत्रित करता है।
समाज के विकास में विज्ञान व तकनीक का बहुत बड़ा योगदान है।
काम के लिए स्वार्थ दूसरों के साथ सहयोग करता है, समाज के विकास के लिए नहीं।
समाज में न्याय उस समाज के आधार होता है जो उत्पादन करता है।
◆ कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रभावित योद्धा
मार्क्सवाद दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित किया है। यहां कुछ प्रसिद्ध नाम दिए जा रहे हैं, जो मार्क्सवाद से प्रभावित हुए हैं:―
1. व्लादिमीर लेनिन:― रूस के प्रथम संघवादी प्रधानमंत्री व्लादिमीर लेनिन एक प्रसिद्ध मार्क्सवादी थे। उन्होंने रूस को संघवादी समाजवाद की ओर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत की।
2. चे ग्वेरा:― एर्नेस्टो चे ग्वेरा अर्जेंटीना के चिकागो संघवादी विद्यार्थी थे। उन्होंने दक्षिण अमेरिका में संघवादी आंदोलन का संचालन किया था।
◆ कार्ल मार्क्स: जीवन संदेश
कार्ल मार्क्स की मृत्यु 14 मार्च, 1883 को हुई थी। उनकी मृत्यु लंदन में हुई थी, जहाँ उन्होंने बहुत समय तक रहा था। उन्हें लंदन के हाईगेट के कुछ रुख में स्थित मार्क्स के मकान में अंतिम संस्कार दिया गया था।
मार्क्स का संपूर्ण जीवन ही विश्व मानवता के लिए संदेश प्रदान करता हैं। मानवता की रक्षा और विकास हेत्तु मार्क्स ने अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया था।
कार्ल मार्क्स एक ऐसे महान विचारक थे जिनका जीवन और काम हमेशा से लोगों को प्रेरित करता रहा है। कुछ उनके जीवन से जुड़े प्रेरक संदेश निम्नलिखित हैं:―
अपने विचारों पर विश्वास: मार्क्स का एक महत्वपूर्ण संदेश था कि हमें अपने विचारों पर विश्वास रखना चाहिए और हमेशा सच के लिए लड़ना चाहिए। उन्होंने कई बार अपने विचारों को लेकर असफलता का सामना किया था, लेकिन उन्होंने कभी अपने मूल्यों से अलग नहीं हुए।
संघर्ष के महत्व: मार्क्स ने संघर्ष को जीवन का एक अभिन्न अंग माना था। उन्होंने स्वतंत्रता और अधिकार के लिए लोगों को संघर्ष करने की सलाह दी थी।
दूसरों की मदद करना: मार्क्स का जीवन संदेश था कि हमें दूसरों की मदद करने के लिए सक्षम होना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन में कई लोगों की मदद की थी, जो उन्हें सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद करते थे।।
कार्ल मार्क्स का जीवन संदेश है कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए लोगों को उनके हक के लिए लड़ना चाहिए और उन्हें स्वतंत्रता और न्याय मिलना चाहिए। वह दावा करते थे कि शोषण, न्याय के अभाव और व्यापक असमानता उस समाज की वजह होती है जिसमें विभिन्न वर्गों के लोगों के बीच असंतोष होता है। मार्क्स का संदेश है कि इस असंतोष को दूर करने के लिए लोगों को उनकी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में सुधार करने की आवश्यकता है। उनके द्वारा प्रतिपादित सोशलिज्म और कम्युनिज्म के विचारों के आधार पर, उन्होंने एक नया समाज के विकास की आवश्यकता को उठाया जो सभी लोगों के लिए समान अधिकारों की गारंटी प्रदान करता हो।।



